राष्ट्रीय स्तर पर मनाये
जाने वाले त्योहारों मे से ही एक त्योहार रक्षा बंधन है | रक्षा बंधन हिन्दुओ का
पवित्र त्योहार है ,जो प्रतिवर्ष श्रवण मास ( जुलाई-अगस्त) की पूर्णिमा के दिन
मनाया जाता है | श्रावण(सावन) मे सोलोबा मनाये जाने के कारण इसे “श्रावणी पर्व “
या“सलूनो (सलोनी) पर्व“ भी कहते है | ‘राखी’ शब्द संस्कृत के ‘रक्षा’ शब्द से बना
हुआ है | ‘बंधन’ का तात्पर्य ‘बांधने’ से है | इस प्रकार रक्षाबंधन वह सूत्र है, जिसका
संबंध रक्षा के लिए तत्पर रहने से है | यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है|
रक्षा बंधन इस साल 3 अगस्त 2020, सोमवार को मनाया जायेगा |
रक्षा बंधन के आने पर
बाज़ार तरह-तरह की राखियों से सज और चमक जाता है | छोटे भाइयो की नन्ही कलाइयों के
लिए खिलौने वाली राखियाँ भी नजर आती है | भाइयो और बहनों के लिए विभिन्न उपहारों
से बाजार सजे रहते है |
इस त्योहार का बहनें बहुत ही बेसब्री
से इंतज़ार करती है | यह त्योहार हिन्दुओ मे बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है |
प्रातः होते ही बहनें स्नान करके पूजा की थाली सजाती है, जिसमे चावल, कुमकुम, फूल,
मिठाई व राखी होती है | भाई स्नान करके एक स्थान पर बैठ जाते है | उसके बाद बहनें
उनकी दाहिनी कलाई पर राखी बांधती है| बहने भाई को राखी बांधते समय, यही कामना करती
है कि मेरा भाई दीर्घायु हो और सम्पनशाली बने | उसके बदले भाई भी उनकी रक्षा का
वचन देते है | उसके बाद बहनें भाई का मुह मीठा करवाती है और भाई उन्हें कुछ उपहार
या रूपये भेट मे देता है | बहनें अगर भाई से उम्र मे बड़ी हो तो, वह अपने छोटे भाई
को कोई उपहार भी देती है |
राखी के दिन घर मे तरह-तरह के पकवान
बनाये जाते है | प्राचीन समय मे राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे, तब महिलाये उनके माथे
पर तिलक लगाकर उनकी कलाई पर रेशमी धागा भी बंधती थी | इस विश्वास के साथ की यह
धागा उन्हें विजयश्री के साथ सुरक्षित वापस ले आएगा |
वैसे तो सभी भाई-बहन आपस मे लड़ते-झगड़ते
है पर फिर भी एक दुसरे की चिंता उनके मन मे लगी रहती है| भाई-बहन के बीच मे
लड़ाई-झगडे, रूठना-मनाना तो लगा रहता है | राखी के दिन वह अपनी सारी नाराजगी भूलकर,
इस त्योहार को बड़े ही हर्षौल्लास से मनाते है |
रक्षा बंधन का त्योहार हर
भाई-बहन के लिए बहुत ख़ास होता है | यह उनका एक दुसरे के प्रति आपसी स्नेह, प्यार
और विश्वास का प्रतीक है|
रक्षा बंधन का पौराणिक प्रसंग
पुराण मे वर्णन किया गया
है, कि देव और दानवो के बीच जब युद्ध हुआ, तब दानव, देवताओ पर हावी होते नजर आ रहे
थे | भगवान इंद्र घबरा कर ब्रहस्पति के पास गये | इंद्र की पत्नी इन्द्राणी सब सुन
रही थी | उन्होंने रेशम का धागा मंत्रो की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ
पर बाँध दिया | उस दिन श्रावण पूर्णिमा थी | और इंद्र को लड़ाई मे विजय प्राप्त
हुई, लोगो का विश्वास है कि इंद्र इस लड़ाई मे इसी धागे की शक्ति से विजयी हुए थे |
उसी दिन से श्रवण पूर्णिमा के दिन यह धागा बंधने की प्रथा चली आ रही है|
महाभारत के इतिहास मे भी श्री कृष्ण और
द्रौपदी की कहानी प्रसिद्ध है | जब श्री कृष्ण नै सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध
किया था, तो उनकी तर्जनी ऊँगली मे चोट आ गयी थी | उसी समय द्रौपदी ने अपनी साडी
फाड़कर उनकी ऊँगली मे बांध दी थी | जब श्री कृष्ण नै द्रौपदी को हर संकट मे उनकी
रक्षा करने का वचन दिया था | इसी वचन के चलते, श्री कृष्ण ने इस उपकार का बदला,
बाद मे चीरहरण के समय उनकी साडी को बढाकर चुकाया|
सरकार रक्षा बंधन के दिन लडकियों और
महिलाओ को निशुल्क यात्रा का प्रावधान देती है | दूर रहने वाले भाई-बहन, जो राखी
के पर्व पर किसी कारणवश नहीं मिल सकते, आधुनिक तरीको से एक दुसरे को देख और सुन कर
इस पर्व को मनाते है | दूर रहती बहने अपने भाइयो को राखी कूरियर कर देती है |
तोड़ने से भी न टूटे, यह ऐसा मन बंधन है
इस बंधन को सारी दुनिया कहती रक्षा बंधन है !!
राखी कर देती है, सारे गिले-शिकवे
दूर, इतनी
ताकतवर होती है कच्चे धागों की पवन डोर
- हैप्पी रक्षा बंधन
By - Lavica Mittal